नयी दिल्ली/पणजी, 10 नवंबर (एजेंसियां)
सरकार ने भले ही दिवाली से पहले वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) की अधिसूचना जारी कर दी हो, लेकिन इस पर बना गतिरोध अभी खत्म नहीं हुआ है। रक्षा मंत्री ने जहां इसे अपने कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि बताया है, वहीं कुछ पूर्व सैनिकों ने विरोध में अपने मैडल लौटाने शुरू कर दिये हैं। उधर, कांग्रेस ने भी सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है।
गोवा में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि विरोध करने वाले पूर्व सैन्य कर्मियों का आचरण सैनिकों जैसा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इन पूर्व सैनिकों को गुमराह कर दिया गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि 95 से 98 फीसदी तक पूर्व सैनिक संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई शिकायत है तो पूर्व सैन्य कर्मी न्यायिक आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं। गौर हो कि पर्रिकर ने सोमवार को कहा था कि लोकतंत्र में मांग का अधिकार हर व्यक्ति को है, लेकिन हर मांग पूरी नहीं की जा सकती।
वादे और अधिसूचना में बड़ा अंतर : कांग्रेस
कांग्रेस ने सरकार पर पूर्व सैनिकों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिघवी ने मंगलवार को कहा कि पहले तो मांग मानने में बहुत देर की गयी और इसके बाद मांगों के स्वरूप को छोटा कर दिया गया। सिंघवी ने कहा कि पूर्व सैनिक चैरिटी नहीं अपना अधिकार मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव में भारी पराजय के बावजूद मोदी सरकार ने सबक नहीं सीखा।
शुरू किया पदक लौटाना
असंतुष्ट कई पूर्व सैनिकों ने मंगलवार को पदक लौटाने शुरू कर दिये। सरकारी अधिसूचना को आधा-अधूरा बताते हुए पूर्व सैनिकों के संयुक्त संगठन ने पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी। पूर्व सैनिकों का कहना है कि हर पांच वर्ष में नहीं बल्कि हर साल पेंशन की समीक्षा होनी चाहिए तभी यह ओआरओपी कहा जायेगा। उन्होंने कहा, जब तक उनकी मांग नहीं मानी जायेगी उनका विरोध जारी रहेगा।