Sanjha Morcha

हर कश्मीरी युवा नहीं चाहता पाकिस्तान, यह समझने की जरूरत

हर कश्मीरी युवा नहीं चाहता पाकिस्तान, यह समझने की जरूरत

  • चंडीगढ़.पीडीपी और भाजपा सरकार की परफॉर्मेंस के प्रति असंतुष्टि की भावना ने कश्मीर समस्या काे गहरा किया है। बॉर्डर पर हो रही कारगुजारियों के प्रति सरकारी रुख, डिप्लोमेटिक आइसोलेशन आदि से कश्मीर की समस्या सुलझ नहीं रही है। इसके लिए नए तरीके अख्तियार करने होंगे। सबसे बड़ा हल युवाओं को रोजगार देना, उनकी एनर्जी काे सही दिशा में लगाना, पुलिस के कार्य-व्यवहार में सुधार और लोगों की सोच को बदलना होगा। ऐसे ही ख्यालात थे पंजाब यूनिवर्सिटी के आईसीएसएसआर में पहुंचे विभिन्न एक्सपर्ट्स के।
    डिफेंस एंड नेशनल सिक्योरिटी स्ट्डीज डिपार्टमेंट ने ‘जे एंड के: दि वे फॉरवर्ड’ पर टॉक कराई। इसमें पूर्व एंबेसडर केसी सिंह, पूर्व चीफ आर्मी जनरल वीपी मलिक, पूर्व नॉर्दर्न आर्मी कमांडर जनरल डीएस हुड्डा और फॉर्मर वेस्टर्न कमांडर व पीयू के महाराजा रणजीत सिंह चेयर प्रोफेसर लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह और जस्टिस जेएस नारंग ने विचार रखे। जनरल हुड्डा ने कहा कि कश्मीर में 70 फीसदी आबादी की उम्र 30 साल से कम है। उन्होंने जिंदगी में सिर्फ टेंशन देखी। उनके भीतर छिपे गुस्से को समझने की जरूरत है।
    रोजगार है नहीं और माहौल खराब। देश के बाकी लोगों को भी अपनी सोच बदलनी होगी। एक बात स्पष्ट समझने की जरूरत है कि हर पत्थर मारने वाले को पैसे नहीं मिल रहे और हर कश्मीरी पाकिस्तान में विलय नहीं चाहता। एक्सपर्ट्स ने कश्मीर की पीडीपी-भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि जिस तरह पंजाब से आर्मी को हटाकर माहौल में बदलाव आया, वैसे ही कश्मीर में करने की जरूरत है। जनरल हुड्डा ने कहा कि कश्मीर में पुलिस प्रदर्शनकारी युवकों को पकड़ कर ले जाती है और उन्हें छुड़वाने में माता-पिता की जमीनें बिक जाती हैं। जस्टिस नारंग ने कहा कि आर्मी को गवर्नेंस का काम दे दिया गया है जो ठीक नहीं है। आमीं की छवि पर बात आई तो जनरल मलिक ने कहा कि कश्मीर में आर्मी और पैरा मिलिट्री फोर्सेज को लोग एक ही समझ लेते हैं।
PREV